ए चाँद मेरे रुख कर ले इधर तेरा मुख तो नजर आ जाए ! मैं भी चख लूँ सुखमय हाला दो बूँद गर तू छलका जाए !
मुझे मिले जो तेरी चाँदनी सुकूं मेरे मन को आ जाए ! एक किरन निसृत हो तुझसे सूने अंक में आ समा जाए !
- सीमा
No comments:
Post a Comment