जब- जब आँख से मेरी एक आँसू छलकता है दुनिया की आँखों में कहीं उपहास झलकता है समझाती हूँ मन को ना हुआ कर पागल इतना वो भी हो गया है जिद्दी कहाँ मेरी सुना करता है - सीमा
No comments:
Post a Comment