बुलंदियाँ चूमें कदम,
प्रगति-चक्र रुके नहीं !
कामयाबी का सिलसिला,
चलता रहे, चुके नहीं !
तेजोद्दीप्त रहें सदा,
ज्यों सूरज की तश्तरी !
विगत के आधार पर,
बने भविष्य- संदली !
तन रहे स्वस्थ सदा,
मन कभी थके नहीं !
विदीर्ण कर उदासियाँ
नव स्फूर्ति, नव रंग भरें
सतिए-सी मंजिल पर
आप अनन्त दीप धरें
उन्नत रहे भाल सदा
कहीं कभी झुके नहीं !
पंथ पर अन्याय के
कदम कभी ना पड़ें
स्वार्थ के लिए नहीं
ईमान के लिए लड़ें
सन्मार्ग पर चलें सदा
चरित्र कभी बिके नहीं !
बुलंदियाँ चूमें कदम,
प्रगति-चक्र रुके नहीं !
कामयाबी का सिलसिला,
चलता रहे, चुके नहीं !
- सीमा
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