Wednesday 27 January 2016

बुलंदियां चूमें कदम

बुलंदियाँ चूमें कदम,
प्रगति-चक्र रुके नहीं !
कामयाबी का सिलसिला,
चलता रहे, चुके नहीं !

तेजोद्दीप्त रहें सदा,
ज्यों सूरज की तश्तरी !
विगत के आधार पर,
बने भविष्य- संदली !
        तन रहे स्वस्थ सदा,
        मन कभी थके नहीं !

विदीर्ण कर उदासियाँ
नव स्फूर्ति, नव रंग भरें
सतिए-सी मंजिल पर
आप अनन्त दीप धरें
        उन्नत रहे भाल सदा
        कहीं कभी झुके नहीं !

पंथ पर अन्याय के
कदम कभी ना पड़ें
स्वार्थ के लिए नहीं
ईमान के लिए लड़ें
        सन्मार्ग पर चलें सदा
        चरित्र कभी बिके नहीं !

बुलंदियाँ चूमें कदम,
प्रगति-चक्र रुके नहीं !
कामयाबी का सिलसिला,
चलता रहे, चुके नहीं !

- सीमा

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