Monday 14 December 2015

बस यूँ ही-

"बस यूं ही"मुस्कुरा दिया करो
अंधेरे में दीया जला दिया करो
उजड़े,  वीरान चमन में दिल के
आस का फूल खिला दिया करो

बन खिवैया डगमगाती कश्ती
खेकर किनारे लगा दिया करो
असहाय बुझते मन- प्राणों में
जीवन की लौ लगा दिया करो

जो घिर आए रात अमा सी काली
चाँद- सा मुख दिखा दिया करो

- सीमा

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