असीम आकाश
Wednesday 21 October 2015
क्यूँ यूँ---
क्यूँ यूँ अजनबी तुम हो गए ! क्यूँ यूँ भाग्य हमारे सो गए ! खुशी से लहलहाती जमीं पर क्यूँ यूँ बीज गम के बो गए ! - सीमा
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