Wednesday 19 November 2014

अभी तो कितना गम खाया है ---

अभी तो कितना गम खाया है !
फिर भी तुम कहते कम खाया है !

चाहा था जिसे रब से भी ज्यादा
दिल पे उसी ने कहर ढाया है !

जिसके लिए भुला बैठे खुद को
पल- पल उसने हमें ताया है ।

टूट गया अब बाँध सब्र का
आँख से आँसू ढुलक आया है !

पर मुमकिन नहीं है उसे भुलाना
इतना इस दिल को वो भाया है !

जी उठेंगी देख उसे ये अँखियाँ
कोई कह दे लौट वो फिर आया है !

कोई पूछे उससे क्यों रूठ गया वो
जो खुद ही चलके इधर आया है ।

ओ,नफरत करने वाले ! सुन ले
हमें तुझपे बला का प्यार आया है !

अब उजाला ज्यादा दूर नहीं,
अँधियारा इतना घिर आया है !

छंटने लगे अब गम के बादल,
लौट के घर हमदम आया है !

  अब रहे न कोई हसरत बाकी,
  प्यार भरा मौसम आया है !

  देख लिया जब जी भर उनको,
  आँखों में मेरी दम आया है !

  उस बिन तेरा वजूद न'सीमा,'
  कोई गैर नहीं वो हमसाया है !

-सीमा अग्रवाल

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