Thursday 13 November 2014

वक्त ले आया----

वक्त ले आया काँ से काँ तक
डराती है अब अपनी छाँ तक
कैसे यकीं आए नातों पर,
बदल गए सब सर से पाँ तक ।

नजर घुमाऊँ जब याँ से वाँ तक
देख नजारा डर जाती जाँ तक
किसी और पे क्या यकीं करें अब,
बदल गयी जब अपनी माँ तक ।

-सीमा अग्रवाल

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