Thursday, 22 February 2024

कोयल परभृत नार....

मूर्ख बनाती काक को, कोयल परभृत नार।
अंडे उसके नीड़ रख,   खुद उड़ जाती पार।।

अंडे सेता मूढ़ बन,    कौआ मति से हीन।
उल्लू अपना साधती, कोयल छली प्रवीन।।

निपट सयानी कर्कशा, कामचोर अति क्रूर।
धूर्त लड़ाकू आलसी, पिक छल से भरपूर।।

© सीमा अग्रवाल,
फोटो गूगल से साभार

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