Friday, 24 March 2023

कोयल परभृत नार...

मूर्ख बनाती काक को, कोयल परभृत नार।
अंडे उसके नीड़ रख,    खुद उड़ जाती पार।।

अंडे सेता मूढ़ बन,    कौआ मति से हीन।
उल्लू अपना साधती, कोयल छली प्रवीन।।

© सीमा अग्रवाल,
जिगर कॉलोनी,
मुरादाबाद।

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