Saturday 19 October 2019

मेरा चाँद न आया....

रो-रोकर बीती रात
मेरा चाँद न आया
होने लगी लो प्रात
मेरा चाँद न आया

ख्वाब जो मन ने बुने
रह गए सभी अनसुने
रही मन में मन की बात
मेरा चाँद न आया

घिर-घिर आए बदरा
बह-बह जाए कजरा
हुई घनन-घनन बरसात
मेरा चाँद न आया

किस्मत ने किया उत्पात
बेबात बिगड़ी बात
बिन शह के खाई मात
मेरा चाँद न आया

कितनी मैंने टेर लगाई
फिर भी उसने देर लगाई
विलखते रहे जज्बात
मेरा चाँद न आया

आहट जो जरा सी पाई
मन में बजने लगी शहनाई
मगर था वो झंझावात
मेरा चाँद न आया

बुझ गयी आखिरी आस
रहा न कोई उल्लास
मुरझाया मन-जलजात
मेरा चाँद न आया

                होने लगी लो प्रात
                मेरा चाँद न आया

-सीमा
20/10/15

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