Saturday, 1 November 2025

चल पड़े अंतिम सफर पर...

चल पड़े अंतिम सफर पर,
अब न तुम पर भार होंगे।
अलविदा कह इस जगत को,
जल्द ही उस पार होंगे।

चिरविदा दो अब हमें तुम।
वक्त अंतिम आ रहा है।
बुझ रहे सब दीप, दृग में
तम घना सा छा रहा है।
बोल दो दो बोल मन के,
साथ ये  उपहार होंगे।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)