चल पड़े अंतिम सफर पर,
अब न तुम पर भार होंगे।
अलविदा कह इस जगत को,
जल्द ही उस पार होंगे।
चिरविदा दो अब हमें तुम।
वक्त अंतिम आ रहा है।
बुझ रहे सब दीप, दृग में
तम घना सा छा रहा है।
बोल दो दो बोल मन के,
साथ ये उपहार होंगे।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)