Saturday, 31 August 2024

१ सितंबर- राष्ट्रीय क्षमा दिवस...

गलत अगर कोई करे, करें क्षमा का दान।
राह सुझाएँ सत्य की, हो सबका कल्यान।।

बैर बैर से ना मिटे, और सघन हो जाय।
क्षमा-भाव मन से वरो, प्रेम-जलद छलकाय।।

सहनशीलता अरु क्षमा, सीख धरा से यार।
कैसे अपनी पीठ पर, ढोती जग का भार।।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)
फोटो गूगल से साभार

जीवन तपमय बाज का...

करना है कुछ खास तो, बनो बाज से आप।
दृढ़शक्ति एकाग्र मना,    लेता नभ को नाप।।

नजर घनी शक्ति प्रचंड, कहते उसको बाज।
करता उच्च उड़ान भर, आसमान पर राज।।

जीवन तपमय बाज का, वरता दृढ़ संकल्प।
निर्णय ले जोखिम भरा, करता कायाकल्प।।

देख चुनौती सामने,   होता नहीं निराश।
सूझबूझ-संकल्प से, काटे दुख के पाश।।

एक समय जब अंग सब, देने  लगें जवाब।
सूझ बड़ी अपनी दिखा, ले आता नव आब।।

चोंच पटक चट्टान पर, देता खुद को चोट।
नयी निकल आने तलक, काढ़े चुन-चुन खोट।।

त्याग-लगन-एकाग्रता, मान बाज से सीख।
पाँच माह भूखा रहे,    मरे, न  माँगे भीख।।

जीवन-शैली बाज की, देती यह संदेश।
जीवन जीयो शान से, फटक न पाएँ क्लेश।।

© सीमा अग्रवाल

मुरादाबाद

फोटो गूगल से साभार


Monday, 5 August 2024

चला आया घुमड़ सावन...

एक मुक्तक...

चला आया घुमड़ सावन, नहीं आए मगर साजन।
टपकती छत सतत मेरी, छवाऊँ अब कहाँ छाजन ?
दुलारा है तुम्हारा ये, मगर मुझको सताता है।
कहो भोले मुझे ही क्यों, बनाया कोप का भाजन ?

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र. )




Sunday, 4 August 2024

माँगती मन्नत सदा माँ....

घूँट पीकर भी जहर का,
बाँटती अमृत हमें माँ।
बाल बाँका हो न शिशु का,
माँगती मन्नत सदा माँ।

खुद पढ़ी या ना पढ़ी हो,
है प्रथम शिक्षक हमारी।
अंग ढीले पड़ गए पर,
कर रही तीमारदारी।
सौंपती जन्नत हमें पर,
हो रही उपकृत स्वयं माँ।

माँजती  संस्कार देती।
इक नया आकार देती।
परवरिश में संतति की,
सुख निजी सब वार देती।
कर्म नित ऐसे करें हम।
हर कदम आदृत रहे माँ।

पालती हमको जतन से,
पय पिलाकर पोसती है।
डाँटती भी जो कभी तो,
बाद खुद को कोसती है।
सीख शुभ संस्कार तुझसे,
सुत-सुता संस्कृत रहें माँ।

जब तलक हैं साथ माँ के,
तब तलक हम हैं सुरक्षित।
अन्नपूर्णा  माँ   हमारी,
रह न सकते हम बुभुक्षित।
जब तलक तेरा सहारा,
हम सदा आश्वस्त हैं माँ।

पूर्ण कर अरमान तेरे,
हम तुझे हर मान  देंगे।
जान-तन में तू बसी है,
तू कहे  तो जान देंगे।
धड़कनों में घुल समायी,
प्राण में झंकृत रहे माँ।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र. )
साझा संग्रह "भाव अरुणोदय" में प्रकाशित