अब न तुमसे बात होगी...
अब न तुमसे बात होगी।
गुमशुदा हर रात होगी।
अब न होंगे चाँद- तारे,
ना रुपहली रात होगी।
कुछ पलों की जिंदगानी,
कुछ पलों में ढेर होगी।
दो घड़ी भी 'गर मिले तो,
दो घड़ी क्या बात होगी ?
चाँद भी रूठा हुआ सा,
चाँदनी भी सुस्त सी है।
कुलबुलाते से सितारे,
क्या हसीं अब रात होगी ?
अब अकेले इन दिनों का,
गम सहारा है हमारा।
रात साए में अमा के,
बात किसको ज्ञात होगी ?
बुझ रही है दीप की लौ,
टूटती सी श्वास भी अब।
ख्वाब में ही आ मिलो तो,
साथ ये सौगात होगी।
कीं कभी जो बात तुमसे,
आ रहीं सब याद हमको।
आज नयनों से हमारे,
आखिरी बरसात होगी।
अब न तुमसे बात होगी
अब न तुमसे बात होगी....
© सीमा अग्रवाल
जिगर कॉलोनी,
Bahut badia 👍👍
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