Wednesday 13 December 2023

अब न तुमसे बात होगी...

अब न तुमसे बात होगी...

अब न तुमसे बात होगी।
गुमशुदा  हर रात होगी।
अब न  होंगे  चाँद- तारे,
ना  रुपहली  रात होगी।

कुछ  पलों की  जिंदगानी,
कुछ  पलों   में  ढेर  होगी।
दो घड़ी  भी 'गर मिले तो,
दो घड़ी  क्या  बात  होगी ?

चाँद भी रूठा हुआ सा,
चाँदनी भी सुस्त सी है।
कुलबुलाते से सितारे,
क्या हसीं अब रात होगी ?

अब अकेले इन दिनों का,
गम सहारा है हमारा।
रात साए में अमा के,
बात किसको ज्ञात होगी ?

बुझ रही है दीप की लौ,
टूटती सी श्वास भी अब।
ख्वाब में ही आ मिलो तो,
साथ ये सौगात होगी।

कीं कभी जो बात तुमसे,
आ रहीं सब याद हमको।
आज  नयनों  से  हमारे,
आखिरी  बरसात  होगी।

अब न तुमसे बात होगी
अब न तुमसे बात होगी....

© सीमा अग्रवाल
जिगर कॉलोनी,
मुरादाबाद ( उ.प्र.)

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