सच को शूली पर चढ़ा, सत्ता गाल बजाय।
शातिर अपनी चाल चल, दूर खड़ा मुस्काय।।
चाल तुम्हारी चल गयी, हुए घाघ से शेर।
सवा सेर जिस दिन मिला, हो जाओगे ढेर।।
अपनी सुविधा के लिए, करे और पर वार।
परदुख का कारण बने, पड़े वक्त की मार।।
अपनी गलती को छुपा, मढ़ें और पर दोष।
बुद्धिमत्ता दिखा रहे, खाली जिनका कोष।।
© सीमा अग्रवाल
जिगर कॉलोनी,
मुरादाबाद ( उ.प्र.)
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