Thursday 13 May 2021

कोरोना काले.....

कल क्या होगा ?

कुछ ख्वाब नयन में हैं बाकी
क्या यहीं धरे रह जाएंगे ?
उनको पूरा करने फिर हम
क्या लौट धरा पर आएंगे ?

बचा रहेगा भू पर जीवन
या सब मिट्टी हो जाएगा ?
कौन बचेगा इस धरती पर
ये कौन हमें बतलाएगा ?

हम न रहेंगे, तुम न रहोगे
ऐसा भी इक दिन आएगा
जितना मान कमाया जग में
पल में स्वाहा हो जाएगा

फिर से युग परिवर्तन होगा
सतयुग फिर वापस आएगा
कलयुग का क्या हश्र हुआ था
जो शेष रहा, बतलाएगा

जाते-जाते अब भी गर हम
सत्कर्मो के बीज बिखेरें
स्वार्थ त्याग कर मानवता के
धरा-भित्ति पर चित्र उकेरें

पूर्वजों का इस मिस अपने
कुछ मान यहाँ रह जाएगा
प्राण निकलते कष्ट न होगा
अपराध-बोध न सताएगा

अपने तुच्छ लाभ की खातिर
पाप सदा करते आए हैं
माँ धरती, माँ प्रकृति का हम
दिल छलनी करते आए हैं

जितना छला प्रकृति को हमने
वो सब वापस उसे लौटा दें
पाटीं नदियाँ खोल दें फिर से
पंछियों के फिर नीड़ बसा दें

फिर गोद में बैठ प्रकृति की
नफरत-हिंसा-द्वेष मिटा दें
आस भरे निरीह जीवों पर
फिर से अपना प्यार लुटा दें
-सीमा अग्रवाल

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