इधर-उधर मत ताका कर
मन के भीतर झाँका कर
काँटों भरी राह पर भी तू
फूल खुशी के टाँका कर
मोती भी चुग लाया कर
यूँ ही धूल न फाँका कर
किया कर कुछ काम की बातें
खाली गप्प ना हाँका कर
सबकी अपनी कीमत है
कम न किसी को आँका कर
हुनर उजागर कर सबके, पर
दोष न अपने ढाँका कर
सबकी 'सीमा' खैर मना
बाल न किसी का बाँका कर
- सीमा
26-04-2013
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