Tuesday, 25 June 2024

सखी फूटे करम मेरे....

बलम सब फूँक घर आया, सखी फूटे करम मेरे।
सुरा सौतन  बना लाया,    सखी  फूटे करम मेरे।
भला कैसा नशा छाया, खुशी गिरवी रखा आया।
गँवा सुख-चैन गम लाया, सखी फूटे करम मेरे।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
"चयनिका" से

Saturday, 22 June 2024

अद्भुत माँ का रूप...

अद्भुत माँ की शक्तियाँ, अद्भुत माँ का रूप।
दर्शन दो माँ भक्त को,       धारे रूप अनूप।।१।।

वर दो माँ पद्मासने,             टूटे हर जंजीर।
भव-बंधन से मुक्त कर, हर लो मन की पीर।।२।।

नौ दिन ये नवरात्र के,   मातृ शक्ति के नाम।
मातृ भक्ति से हों सदा, सिद्ध सभी के काम।।३।।

पूजो माता के चरन,   ध्या लो उन्नत भाल।
वरद हस्त माँ का उठे, हर ले दुख तत्काल।।४।।

रिपुओं से रक्षा करे,    बने भक्त की ढाल।
बरसे जब माँ की कृपा, कर दे मालामाल।।५।।

कलुष वृत्ति मन की हरें, माता के नव रूप।
भक्ति-शक्ति के जानिए,   मूर्तिमंत स्वरूप।।६।।

नारी का आदर करें,     रख मन में सद्भाव।
कारक बने विकास का, नर-नारी समभाव।।७।।

जगत-जननी माँ अंबे,   ले मेरी भी खैर।
मैं भी तेरा अंश हूँ, समझ न मुझको गैर।।८।।

मधुर-भाव चुन चाव से, सजा रही दरबार।
मेरे घर भी अंबिके,  आना  अबकी  बार।।९।।

पलकों पे सपने लिए, लाँघे जब दहलीज।

बिटिया की माँ का हृदय, पल-पल उठे पसीज।।१०।।

© सीमा अग्रवाल

मुरादाबाद



Saturday, 1 June 2024

#चलते-चलते...

#चलते-चलते...

चलते-चलते प्यादा, वजीर बन गया।
हरएक की नज़र में, नजीर बन गया।

किस्मत पर अपनी, क्यों न करे गुमां,
वह जो रातों- रात, अमीर बन गया।

कभी-कभी यूँ भी, सँवरता है नसीब,
फट के भी दूध जैसे, पनीर बन गया।

बनता अभ्यास से, अनगढ़ भी ज्ञानी,
लिखते-लिखते जैसे, मीर बन गया।

भाग्य भी किसी का, लेता यूँ पलटियाँ,
राजकुँवर भी हाय! फकीर बन गया।

तजो ठकुराई घुल-मिल रहो सभी में,
प्रेमवश ज्यों कान्हा, अहीर बन गया।

किस्मत का लिक्खा टाले से ना टले,
वाक्या ये पत्थर की, लकीर बन गया।

हर कमी का अपनी, मढ़े और पर दोष,
इन्सां का तो बस ये, जमीर बन गया।

खपा न जान 'सीमा', आस में सुखों की,
ग़म सदा को तेरी, तकदीर बन गया।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद (उ.प्र)
"चयनिका" से